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डाक विभाग में हडताल बेअसर, बीपीईएफ एवं एफएनपीओ ने बनाई दूरी

BPEF, Organizational Secretary

डाक विभाग में पोस्टल ज्वॉइंट कॉन्फेडरेशन द्वारा दिए गए नोटिस के संबंध में आज की एक दिवसीय हडताल बेअसर रही। कई प्रदेशों में इस हड़ताल में न के बराबर कर्मचारी शामिल हुए। यह पहली बार देखा गया जब कर्मचारियों ने एनएफपीई पर भरोसा नहीं जताया।

भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ के संतोष कुमार सिंह ने बताया कि अब कर्मचारियों का कम्यूनिस्टों पर से विश्वास खत्म हो गया है। जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब राजनीतिक फायदों के लिए कम्यूनिस्टों ने डाक कर्मचारियों को हड़ताल पर झोंकने का दुष्कृत्य किया है। वह भी ऐसा झूठ जिसका वर्णन खुद इनके पीजेसीए के साथी संगठन एफएनपीओ ने स्वयं कर दिया है। 

उन्होंने बताया कि वह पिछले कई दिनों से डाक कर्मचारियों को आश्वस्त करते आ रहे हैं कि अभी जिस मुद्दे को उठाया जा रहा है उस मुद्दे से विभाग प्राइवेटाइज नहीं होने जा रहा है। हां कुछ कमियां है जिसे दूर करने का प्रयास भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ दूर करने के प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा कि कम्यूनिस्टों ने सदैव ही कर्मचारियों का अहित किया है, जो कार्य 20 साल पहले हो जाने चाहिए थे वह कार्य आज भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ 2017 से लगातार कर रहा है, और एक लंबी श्रृंखला है जो परिवर्तन हमने करवाएं हैं।

उन्होंने कहा कि पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव   मना रहा है और हम डाक विभाग के कर्मचारियो का सबसे बड़ा सौभाग्य यह है कि हम इस महोत्सव के नायक बनकर उभर रहे है। कोविड 19 के समय वैक्सीन पहुंचाकर एवम AEPS के माध्यम से लोगो तक पैसा पहुंचाकर विभाग आम जनमानस में जितना महिमामंडित हुआ था उससे ज्यादा घर घर तिरंगा पहुंचाकर एवम तिरंगा रैली निकालकर अपना डाक विभाग यशस्वी हो रहा है।ये हमारा सौभाग्य है कि माननीय प्रधानमंत्री जी, माननीय संचार मंत्री जी ने यह अवसर हम सभी को दिया किंतु इसी अवसर पर कुछ लोग डाक विभाग में हड़ताल करवा रहें हैं।

उन्होंने कहा कि जरा सोचिए, इनके कुकृत्यों के नाते इतिहास हमें किस रूप में याद करेगा। वास्तव में ये हड़ताल करने वाले अमृत महोत्सव को फीका करने के लिए घर घर तिरंगा न पहुंच पाए ,यह प्रयास कर रहे है।वास्तव में यही उचित समय है इन्हें जानने की। क्यों कम्युनिस्ट आंदोलन फेल हो रहे है, क्या कारण है कि जिन विभागों में ये ताकतवर है वे विभाग बंद होते जा रहे है। क्या 2 अगस्त का धरना इन्ही समस्याओं को लेकर नही था।पूरे देश में कर्मचारियो ने जिस जोश के साथ उस धरने का समर्थन किया क्या हड़ताल में ये उसका 1/4 भी शामिल करा पाएंगे, आप का उत्तर होगा, नही क्योंकि आम कर्मचारी ने NFPE को नकार दिया है। सब कुछ बदल रहा है या बदल गया किंतु इन्हे अंग्रेजो के जमाने के हथियार ही प्रयोग करना है। विरोध करने के बहुत से तरीके है उसमे से एक आपने 2 अगस्त को सफलता पूर्वक करके दिख दिया किंतु इनका आंदोलन का पहला और अंतिम अस्त्र हड़ताल ही है। वास्तव में इनके आंदोलन के पीछे दूसरे लोग है इसीलिए ये लगातार फेल हो रहे है। 

उन्होंने कहा कि आज के बदले हुए दौर में डाक विभाग अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है।अपने मूल कार्य के साथ साथ दूसरे कार्यों को पकड़ रहा है। पार्सल बिजनेस को लेकर अपने माननीय मंत्री जी, माननीय सचिव एवम् डी जी सर क्या क्या प्रयास कर रहे है क्योंकि पार्सल बिजनेस की बड़ी फील्ड अभी खाली है। कर्मचारियो के वेलफेयर के जितने आदेश इधर निकले है वे पिछले 20 वर्षो में नहीं हुए। ट्रांसफर के लिए रूल 38 में 3 के बजाय 1 वर्ष, टेंपरेरी ट्रांसफर कभी भी, म्यूचुअल ट्रांसफर से रोस्टर खत्म, प्रत्येक माह ऑनलाइन ट्रांसफर, 2018 की छूटी वेकेंसी को  भरती के लिए नोटिफाई करना, 16000 नए डाकघरों को खोलने का प्रयास, जी डी एस के लिए 100 प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति, इसके बाद भी सर्किल में केश रिजेक्ट होने पर डी जी सर को अपील करने का विकल्प, पोस्ट अटैच क्वार्टरो में रहने का अनिवार्यता समाप्त, भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश, बोलिए क्या चाहिए। इनकी नोटिस पर डाक भवन में उच्च स्तरीय मीटिंग, प्राइवेटाइजेशन की कोई योजना नहीं, इसका स्पष्ट उल्लेख। यूनियनों के साथ निरंतर संवाद वा मीटिंग किंतु इस सबके बाद भी यदि आपको दिखाने के लिए, विरोध करने के लिए विरोध करना है तो उसका कोई हल नहीं है। भाइयों बहनों, यही उपयुक्त समय है जब हम इन्हें आइना दिखा सकते है।

इन्ही समस्याओं को हमने अपने तरीके से हाइलाइट किया जिसमे विभाग का एक पैसा भी नुकसान नहीं हुआ। समय की मांग है की  वर्तमान में हम सभी विभाग के, राष्ट्र के साथ खड़े हो। आज की हड़ताल का सच यह है कि बंगाल के सभी कर्मचारी आपके सेक्रेटरी जनरल अनंतपाल जी के साथ खड़े है, सभी जगह निर्वाधगति से काम हो रहा है।

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