भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ ने मंहगाई भत्ता एवं महंगाई राहत जुलाई 2021 तक फ्रीज किए जाने के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में परिसंघ ने लिखा है कि कर्मचारी प्रधानमंत्री के इस निर्णय से हतप्रभ हैं। उन्होंने कहा कि जब सरकार ने अप्रैल के वेतन से एक दिन के वेतन के अनुदान की मांग की तो सभी कर्मचारियों ने सरकार के इस अनुदान में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया और सरकार के खाते में लगभग 3900 करोड़ रुपए जमा भी हुए। लेकिन अब सरकार ने जनवरी 2020 से बढ़े हुए 4 फीसदी डीए पर रोक लगा दी, साथ ही आने वाले वाले जुलाई 2020 और जनवरी 2021 में बढ़ने वाले महंगाई भत्ते पर जून 2021 रोक लगा लगा दी, जिससे कर्मचारी बहुत ही असंतुष्ट हैं। इसी के साथ सरकार ने पेंशनर्स को मिलने वाली पेंशन राहत पर भी रोक लगा दी है।
उन्होंने कहाकि वर्तमान में कर्मचारी सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस विकट परिस्थिति में सरकार का सहयोग कर रहे हैं। लेकिन डीए फ्रीजिंग का आदेश उन्हें हतोत्साहित करने वाला है। उन्होंने लिखा कि भविष्य में जो देश के सामने आने वाली परिस्थितियां हैं उन परिस्थितियों का सामना आम जनता के साथ साथ सरकारी कर्मचारियों को भी करना होगा। आने वाले समय में जरूरी वस्तुओं पर जो महंगाई की मार लगेगी उसका सामना तो सरकारी कर्मचारियों को भी करना पड़ेगा। ऐसे में में महंगाई भत्ते पर रोक लगाने से इसका सीधा प्रभाव कर्मचारियों और उनके परिवार पर ही पड़ेगा।
सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों पर पड़ेगा सीधा असर
उन्होंने लिखा है कि 1 जनवरी 2020 के बाद और 30 जून 2020 तक बहुत से कर्मचारी सेवा निवृत्त हो चुके होंगे, उनको सेवानिवृत्त होने के बाद दोहरा नुकसान होगा। एक तरफ हर माह डीए का नुकसान तो होगा ही दूसरा सेवानिवृत्त लाभ में पचास हजार से लेकर तीन लाख तक का नुकसान उठाना पडे़गा क्योंकि ग्रेच्युटी और लीव इनकैशमेंट की गणना में डीए भी सम्मिलित रहता है।
अतः हम मांग करते हैं कि सरकार तत्काल डीए एवं डीआर फ्रीज करने के अपने आदेश को तुरंत वापस ले और कर्मचारियों को स्वैच्छिक दान करने के लिए प्रेरित करे।
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